PPF vs EPF में क्या अंतर है यहां जाने, जाने कौन 15 वर्ष के निवेश में बनाएगा बड़ा फंड?

हर कोई चाहता है कि उसकी मेहनत की कमाई न सिर्फ सुरक्षित रहे, बल्कि समय के साथ उसमें अच्छा रिटर्न भी मिले, खासकर रिटायरमेंट के बाद आरामदायक जीवन के लिए। ऐसे में लोग ऐसी स्कीम की तलाश में रहते हैं जो न सिर्फ जोखिम से दूर हो, बल्कि टैक्स में भी राहत दे और सुनिश्चित ब्याज के साथ फंड को बढ़ाए। इसी तलाश में अक्सर दो विकल्प सामने आते हैं – EPF और PPF। दोनों ही स्कीमें सरकार द्वारा समर्थित हैं,

लेकिन इनमें निवेश का तरीका, ब्याज दर, टैक्स लाभ और मैच्योरिटी की शर्तें अलग-अलग होती हैं। आइए आसान उदाहरणों और तुलना के जरिए जानें कि इन दोनों विकल्पों में से कौन सा आपके लिए बेहतर साबित हो सकता है।

क्या है PPF

चाहे आप सैलरीड हों या खुद का कारोबार करते हों, हर भारतीय नागरिक PPF यानी पब्लिक प्रोविडेंट फंड में निवेश कर सकता है। यह खाता पोस्ट ऑफिस या कुछ चुनिंदा बैंकों में खोला जा सकता है। इसकी अवधि शुरू में 15 साल की होती है, जिसमें हर साल कम से कम 500 रुपए और अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक निवेश किया जा सकता है।

फिलहाल इस पर 7.1% का ब्याज मिल रहा है। अच्छी बात यह है कि मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम और ब्याज, दोनों पूरी तरह टैक्स-फ्री होते हैं। 15 साल की अवधि पूरी होने के बाद इस खाते को हर 5 साल के लिए आगे भी बढ़ाया जा सकता है।

क्या है EPF

EPF यानी एम्प्लॉयी प्रोविडेंट फंड विशेष रूप से नौकरीपेशा लोगों के लिए होता है। इसमें कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12% हिस्सा हर महीने जमा किया जाता है, और इतनी ही रकम नियोक्ता (कंपनी) की तरफ से भी जोड़ी जाती है। वर्तमान में इस स्कीम पर 8.15% वार्षिक ब्याज दिया जा रहा है। यदि आप नौकरी बदलते हैं, तो आपका EPF खाता नए नियोक्ता के साथ ट्रांसफर हो जाता है।

रिटायरमेंट के समय पूरी जमा राशि टैक्स फ्री मिलती है। साथ ही, कुछ विशेष परिस्थितियों में आंशिक निकासी की सुविधा भी उपलब्ध है, बशर्ते कुछ नियमों का पालन किया जाए।

PPF vs EPF में कौन आगे है?

अगर हम ब्याज दर की बात करें, तो कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में मिलने वाला ब्याज पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) से ज़्यादा होता है। वर्तमान में PPF पर 7.1% सालाना ब्याज मिलता है। अगर कोई व्यक्ति हर साल ₹1.5 लाख जमा करता है, तो 15 साल बाद उसे करीब ₹40 लाख का रिटर्न मिल सकता है। इस राशि को बढ़ाने में चक्रवृद्धि ब्याज (कंपाउंडिंग) की बड़ी भूमिका होती है।

वहीं अगर यही रकम EPF में 8.15% सालाना ब्याज दर पर निवेश की जाए, तो 15 साल में फंड लगभग ₹44 लाख तक पहुंच सकता है। यानी ब्याज दर में मामूली फर्क से भी लंबे समय में अच्छा-खासा फर्क पड़ता है।

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