सोचिए… आपने मेहनत करके पैसे जमा किए, लेकिन जब जरूरत पड़ी तो बैंक ने कहा – “आपका अकाउंट डॉरमेन्ट हो गया है, पहले रीएक्टिवेट कराइए।” उस वक्त कैसा लगेगा? परेशान करने वाला ही न! अब एक और खबर ने सबको चौंका दिया है – 5 अक्टूबर से कुछ बैंकों में डॉरमेन्ट अकाउंट पर ₹10,000 का फाइन लग सकता है। State Bank AlertDormant Accounts
कई लोग घबरा गए हैं। सवाल ये है कि आखिर डॉरमेन्ट अकाउंट होता क्या है, ये जुर्माना सच है या अफवाह, और आप इसे कैसे बच सकते हैं? चलिए, दोस्त की तरह आराम से समझते हैं।
डॉरमेन्ट अकाउंट क्या होता है?
कभी सोचा है कि आपका बैंक अकाउंट भी “स्लीप मोड” में जा सकता है?
जब किसी अकाउंट में लगातार दो साल तक कोई भी ग्राहक-शुरू की गई ट्रांजैक्शन नहीं होती तो बैंक उसे डॉरमेन्ट (निष्क्रिय) मान लेता है।
- इसमें बचत खाता (Savings Account) और चालू खाता (Current Account) आते हैं।
- कैश जमा, निकासी, फंड ट्रांसफर, UPI, या चेक से लेन-देन – ये सब जरूरी हैं।
- केवल ब्याज क्रेडिट या बैंक चार्ज कटना एक्टिविटी नहीं मानी जाती।
यानि अगर आपने लंबे समय तक खाते का इस्तेमाल नहीं किया, तो वो लॉक हो जाएगा और फिर मुश्किलें बढ़ जाएंगी।
₹10,000 फाइन की खबर कहाँ से आई?
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया और खबरों में ये चर्चा जोर पकड़ रही है कि 5 अक्टूबर से डॉरमेन्ट अकाउंट पर ₹10,000 का जुर्माना लगेगा।
लेकिन सच ये है – RBI ने अब तक ऐसा कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया है।
संभावना है कि ये संदेश कुछ बैंकों की आंतरिक नोटिस या ग्राहकों को जागरूक करने की कोशिश का हिस्सा हो।
बैंक डॉरमेन्ट अकाउंट पर सख्ती क्यों करता है?
कभी आपने सोचा क्यों? आखिर बैंक को क्या फर्क पड़ता है कि आपका खाता यूज हो या नहीं?
असल में निष्क्रिय खाते:
- धोखाधड़ी और फ्रॉड का आसान टारगेट बन जाते हैं।
- मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के लिए निगरानी जरूरी है।
- बैंक के लिए इनकी सुरक्षा और रिकॉर्ड बनाए रखना मुश्किल हो जाता है।
- लंबे समय तक बिना यूज हुए पैसे आखिर में अनक्लेम्ड डिपॉजिट फंड में चले जाते हैं।
यानि खाते को एक्टिव रखना सिर्फ बैंक के लिए नहीं, बल्कि आपके लिए भी बहुत जरूरी है।
क्या वाकई ₹10,000 फाइन लगेगा?
अभी तक RBI की तरफ से कोई आधिकारिक नियम नहीं आया है।
हाँ, बैंक अपने स्तर पर कुछ फीस या पेनाल्टी रख सकते हैं, लेकिन वो ग्राहकों को पहले से बताना जरूरी है।
यानि ₹10,000 फाइन की खबर अभी अफवाह जैसी है, पर सावधानी बरतना आपके लिए बेहतर है।
आगे ऐसी परेशानी से कैसे बचें?
- खाते में हर कुछ महीनों में छोटी-मोटी ट्रांजैक्शन करते रहिए।
- खाते को बिल पेमेंट, UPI या ऑटो-ट्रांसफर से लिंक कर दीजिए।
- अगर खाते का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना तो उसे बंद कर दीजिए।
- याद रखिए – बंद खाता सुरक्षित है, निष्क्रिय खाता नहीं।